अंजनी नो जायो , सीताराम नो दुलारो
बलवंत महाप्रभु, द्रोणाचल ले आयो
लछमन जियायो प्रभु, हर्ष उर लायो
मंत्र नहीं कर्मा से, भक्त राम को कहायो
त्रेता में जो आयो, कलजुग में गवायो
मोतीड़ा करडी छाती, चिर के दिखायो
मुख में नाम उसे, ह्रदय में बसायो
सूरज ग्राही लई, माँ के शाप को मिटायो
पवनपुत्र बजरंगी, सीता शोध ले आयो
अति बलबुध्धि अष्ट सिध्धि, नव निधि के ओ दाता
रामदूत केसरी नंदन, स्वर्ण लंका जलयो
हनुमंत हांक सुनी, थरथर लोक तीनो कांपे
विभीषण सुघ्रीव मंत्र, तुहरो ही जापे
भूत पिशाच सब, महावीर भय खावे
तुम रक्षक हो स्वामी, कोई डर मुझे काँहे
भय भंजनाय वीरा, संकटहरण महासुखकारी
शरण में तू ले ले, महावीर मंगलकारी
अंजनी नो जायो, सीताराम नो दुलारो
- मयुर पारेख
शिव स्तुति - महादेव
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